श्री रामलीला मेला की स्थापना का कार्य सन 1901 में प्रारंभ हो गया था। श्री राम लीला का लीला कार्यक्रम, समय, लीला प्रांगण, अयोध्या लंका की स्थिति, लीला के संवादों की रचना, युद्ध प्रक्रिया, चरित्रों के अनुरूप वेशभूषा, दृश्यों का निर्माण, स्थान रचना तथा आवश्यक वस्तुओं आदि की रूपरेखा विदिशा के प्रथम धर्माधिकारी एवं संस्कृतज्ञ पंडित श्री विश्वनाथ जी शास्त्री जी के मार्गदर्शन में तैयार हुई एवं श्री रामलीला को मूर्त रुप सन 1902 में दिया गया । श्रीरामलीला के लिए मकर संक्रांति का समय उपयुक्त माना गया क्योंकि इस समय चरण तीर्थ मंदिर पर मेला भराता था, जिससे अधिक से अधिक श्रद्धालु गण श्रीरामलीला का लाभ ले सके। यह समय खेतीहर किसानों के लिए भी  अनुकूल था ।

 श्रीरामलीला का उद्देश्य 

श्री रामलीला मेला स्थापना का उद्देश्य मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के आदर्श चरित्र ( अनंत गुण संपन्न प्रभु श्री राम के अंश चरित्र जैसे गुरु भक्ति, पितृ- मातृ भक्ति, राजभक्ति, राजनीति, धर्म नीति, दांपत्य प्रेम, सेवा, धर्म, वीरता, मित्रता, सत्य संकल्पता प्रजाभक्ति, दयालुता, परोपकार, समदर्शिता, उदारता, त्याग, धैर्य, साहस, क्षमा, मान आदि ) को लीला के माध्यम से प्रस्तुत कर, उन आदर्श चरित्रों का अनुसरण करने को प्रेरित करना था ।

प्रारंभ में श्रीरामलीला 10 दिवस की होती थी, जिसका क्रम निम्नानुसार था

1.शंकर विवाह,नारद मोह, प्रताप भानु चरित्र, रावण जन्म, इंद्र मेघनाथ युद्ध

2. श्री राम जन्म, बाल लीला, ताड़का वध, सुबाहु वध, सीता स्वयंवर, परशुराम संवाद

3.श्रीराम विवाहोत्सव,दशरथ दरबार,

4. श्रीराम वनवास,खर दूषण वध

5. सीता हरण,जटायु वध, अनेक राक्षस उपद्रव दंडकारण्य दृश्य

6. मारुति मिलाप, सुग्रीव मित्रता, बाली वध, अशोक वन लीला, लंका दहन

7. सेतुबंध, अंगद रावण संवाद लक्ष्मण शक्ति, कुंभकरण वध

8.श्री राम ससैन्य पाश बंधन मेघनाथ वध, सुलोचना सती, अहिरावण वध

9.श्री राम रावण युद्ध, सेना युद्ध, माया दर्शन, रावण वध

10. विभीषण राज्यभिषेक,नंद ग्राम में भरत मिलाप,श्री राम राज्याभिषेक ।

प्रथम श्री रामलीला के मुख्य पात्र निम्न थे
1. पंडित चंद्रशेखर जी शास्त्री
2. भोगचंद्र चंद्र जी शर्मा
3. भवानी शंकर जी आचार्य
4. गोविंद रामजी शास्त्री
5. गोपी लाल जी शर्मा
6. पन्ना लाल जी शर्मा
7. धनंजय जी शर्मा
8. कृष्ण गोपाल जी शर्मा
एवं
परम पूज्य शास्त्री जी के अनेक शिष्य ।

दस दिवस की श्रीरामलीला एवं मेला अनेक प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष महानुभावों के सहयोग से प्रगति करते हुए अब 27 दिवस की हो गई है। समय के साथ-साथ लीला के प्रसंग बढ़ते गए, परम पूज्य चंद्रशेखर जी शास्त्री जो कि श्रीरामलीला के द्वितीय प्रधान संचालक एवं विदिशा के द्वितीय धर्माधिकारी थे, के द्वारा अनेक दृश्य जोड़े गए, जिसमें नारान्तक वध प्रमुख है। भारत देश में ( संभवतः विश्व मे ) मात्र विदिशा की रामलीला ही ऐसी है जंहा नारान्तक वध की लीला होती है। समय के साथ-साथ विज्ञान के नवीनतम संसाधनों का उपयोग भी श्री रामलीला में होने लगा। लाउड स्पीकर, माइक व्यवस्था, लीला का सौंदर्यीकरण उत्तम से अति उत्तम होने लगा । सन 2017 में वर्तमान प्रधान संचालक पंडित श्री चंद्र किशोर जी मिश्र के प्रयासों से संजीवनी बूटी लेने के लिए हनुमानजी ( स्वरूप ) आकाश मार्ग से उड़ते हुए प्रत्यक्ष दिखाई देते हैं, जिसका दर्शन मात्र रोम रोम में आनंद भर देता है।इसी बर्ष सेतुबंध के दृश्य में समुद्र का निर्माण एवं अंगद जी महाराज का hydrolic सिंहासन भी बनाया गया जो स्वतः12 फ़ीट तक उठकर रावण के सिंहासन के समकक्ष हो जाता है जिससे दृश्य अति शोभनीय हो जाता है।
सन 1901 से 2018 तक श्रीरामलीला सतत प्रगति कर रही है और श्री सीताराम जी सरकार की कृपा से आगे भी प्रगति करती रहेगी इसी प्रार्थना के साथ विश्राम………… 🙏🏻जय श्री सीता राम सरकार 🙏