अक्षय नवमी (अंग्रेज़ी: Akshaya Navami) कार्तिक शुक्ला नवमी को कहते हैं। अक्षय नवमी के दिन ही द्वापर युग का प्रारम्भ माना जाता है। अक्षय नवमी को ही विष्णु भगवान ने कुष्माण्डक दैत्य को मारा था और उसके रोम से कुष्माण्ड की बेल हुई। इसी कारण कुष्माण्ड[1] का दान करने से उत्तम फल मिलता है। इसमें गन्ध, पुष्प और अक्षतों से कुष्माण्ड का पूजन करना चाहिये। विधि विधान से तुलसी का विवाह कराने से कन्यादान तुल्य फल मिलता है।