यह देश की पहली ऐसी रामलीला समीति है जिसका अपना संविधान है। इस रामलीला के बारे में मप्र के गेजेटियर में भी जिक्र किया गया है। रामलीला की खासियत यह है कि आजादी के पहले से ही इसका अध्यक्ष जिले के कलेक्टर को बनाया जाता है। यह प्रथा आज भी जारी है। आजादी के पहले रामलीला के दौरान पूरा कलेक्ट्रेट यानि सूबा मैदान में ही तैनात रहता था। कलेेक्टर और पुलिस विभाग की सभी कार्रवाई यहीं से पूरी की जाती थीं। हालांकि अब ऐसा नहीं है।